नमस्कार दोस्तों भारत के शेयर बाजार (Share Market) में निवेशकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है लेकिन रिपोर्ट्स की माने तो अधिकतर निवेशकों को शेयर बाजार की जानकारी ही नहीं है यह निवेशक केवल यूट्यूब या फिर गूगल (YouTube & Google) जैसे प्लेटफार्म पर शेयर बाजार की खबरों को देखकर शेयर बाजार में निवेश करते हैं।
अतः दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से शेयर बाजार से जुड़ी सारी जानकारी को आपके समक्ष पेश कर रहे हैं जिसकी मदद से आप शेयर बाजार (Share Market) से जुड़ी सारी जानकारियां प्राप्त कर सकते तथा एक अच्छे निवेशक बन सकते हैं।
भारतीय शेयर बाजार || Indian shares Market
भारत में शेयर बाजार (Share Market) की शुरुआत साल 1875 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Exchange) की स्थापना के साथ होती है जो कि एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है तथा इसे भारतीय शेयर बाजार (Share Market) का मिल का पत्थर माना जाता है शुरुआती दिनों में शेयर बाजार चुनिंदा बैंकों और कंपनियों तक ही सीमित था।
Share Market
लेकिन समय के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार एवं वित्तीय जागरूकता बढ़ाने के साथ शेयर बाजार (Share Market) में आम जनता का ध्यान आकर्षित किया साल 1992 में NSE (National Stock Exchange) के स्थापना के साथ-साथ शेयर बाजार (Share Market) को अधिक संगठित एवं पारदर्शी बनाया गया।
NSE (National Stock Exchange) के स्थापना के साथ कंप्यूटराइज्ड ट्रेडिंग सिस्टम (Computerized Trading System) तथा टेलीफोन ट्रेडिंग (Telephone Trading) की शुरुआत हुई परिणामस्वरुप व्यापारिक प्रक्रिया तेज एवं सुरक्षित हो गई।
- NSE (National Stock Exchange)
- BSE (Bombay Stock Exchange)
NSE (National Stock Exchange)
NSE भारत का प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है जिसको साल 1992 में स्थापित किया गया था NSE भारत के निवेशकों को स्वच्छ पारदर्शी आधुनिक मंच प्रदान करता है जहां निवेशक अच्छी तरीके से निवेश कर सकते हैं NSE ने भारतीय निवेश बाजार में क्रांति लाई है इसमें विभिन्न प्रकार के वित्तीय उत्पाद शामिल होता है जैसे कि Equity, Derivatives Currency and Debt Securities.
NSE के योगदान के कारण ही छोटे निवेशक शेयर बाजार (Share Market) में आसानी से निवेश कर सकते हैं इसके अलावा NSE ने बाजार में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देने के लिए करे नियम और विनियम स्थापित किए हैं।
अर्थात अगर देखा जाए तो NSE ने भारतीय वित्त बाजार (Finance Market) के विकास में एक स्तंभ की तरह खुद को खड़ा किया है इसके माध्यम से निवेशक सुरक्षित तरीके से शेयर बाजार (Share Market) में निवेश कर सकते हैं।
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BSE (Bombay Stock Exchange)
भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) जिसकी स्थापना साल 1875 ईस्वी में हुई थी इसका मुख्यालय मुंबई में अवस्थित है।
यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है BSE में विभिन्न कंपनियों के शेयर, वित्तीय उत्पादों की ट्रेडिंग होती है इस प्लेटफार्म के जरिये कंपनियां अपनी पूंजी जुटाती है और निवेशक अपने निवेश को विभिन्न निवेश साधनों में निवेश करते हैं।
BSE Sensex जो की BSE का प्रमुख सूचकांक है,भारतीय शेयर बाजार (Share Market) का प्रतिनिधित्व करता है इसमें 30 प्रमुख कंपनियों के शेयर शामिल होते हैं BSE ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है यह न केवल कंपनियों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराता है बल्कि लाखों निवेशकों को निवेश की सुविधा प्रदान करती है।
BSE का इतिहास और उसकी विकास यात्रा भारतीय आर्थिक सुधारो और बाजार के उदारीकरण की कहानी को बयां करती है।
तो चलिए दोस्तों स्टॉक मार्केट (Share Market) में कुछ ऐसी चीजें या बातें होती है जिनके बारे में अच्छी तरीके से जानते हैं क्योंकि अगर आप शेयर मार्केट में सफल निवेशक (Successful Investor) बनना चाहते हो तो उन बातों का या चीजों का जानना जरूरी है जो कुछ इस प्रकार से है।
- Mutual Fund
- Systematic Investment Plan (SIP)
- Dividend
- ROE
- Market Cap
- Book Value
- Face Value
- EPS (TTM)
- P/E Ratio (TTM)
- Promoters Holding
- Foreign Investor
- Retailers
-: MUTUAL FUND :-
Mutual Fund क्या होता है?
म्युचुअल फंड (Mutual Fund) एक वित्तीय साधन है जिसके माध्यम से निवेशक अपने पैसे को जमा करके विभिन्न प्रकार के संपत्तियों में निवेश करता है यह एक पेशेवर फंड प्रबंधक (Professional Fund Maneger) द्वारा संचालित होता है जो इस पूंजी (Investment) को शेयर, बांड, सरकारी प्रतिभूतियों (Share, Bonds, Debt Securities) तथा अन्य वित्तीय साधनों में निवेश करता है।
म्युचुअल फंड (Mutual Fund) का मुख्य आकर्षण होता है विविधीकरण (Diversification) प्रदान करना जिसका मतलब है फंड मैनेजर निवेशकों क पैसे लेकर अलग-अलग कंपनियों के संपत्ति में निवेश करता है इससे लाभ यह होता है कि यदि किसी कंपनी का मूल्य गिरता है तो अन्य कंपनियों से होने वाले लाभ से उसकी भरपाई हो जाती है।
म्युचुअल फंड (Mutual Fund) बहुत ही सरल है म्युचुअल फंड के माध्यम से छोटे निवेशक भी बड़ा निवेश कर सकते हैं इसकी पारदर्शिता तथा पेशेवर प्रवंधन के कारण म्युचुअल फंड (Mutual Fund) भारत में एक लोकप्रिय निवेश का प्लेटफार्म बना हुआ है।
Types of Mutual Fund
म्यूच्यूअल फंड के प्रकार:-
- इक्विटी फंड (Equity Fund)
- ऋण निधि (Debt Fund)
- हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund)
- लिक्विड फंड (Liquid Fund)
- इंडेक्स फंड (Index Fund)
- व्यवस्थित निवेश योजना (Systematic Investment Plan)
- इक्विटी फंड (Equity Fund):-
- यह फंड मुख्यतः शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करती है अतः निवेशकों को ज्यादा रिटर्न की संभावना होती है परंतु जोखिम भी ज्यादा होता है इसे शेयर फंड (Share Fund) भी कहा जाता है।
- ऋण निधि (Debt Fund):-
- यह मुख्य रूप से बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियों और अन्य ऋण साधनों में निवेश करता है। यह फंड स्थिर रिटर्न प्रदान करता है और इसलिए इसे कम जोखिम वाला निवेश माना जाता है।
- हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund):-
- Equity एवं Debt Fund का मिश्रण ही हाइब्रिड फंड ऋण निधि होता है हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) के माध्यम से आप शेयर तथा बांड (Share & Bonds) दोनों में निवेश कर सकते हैं इसमें मध्य जोखिम मध्य रिटर्न का विकल्प होता है इसे बैलेंस फंड (Balance Fund) भी कहा जाता है।
- लिक्विड फंड (Liquid Fund):-
- यह फंड अल्पकालिक निवेशकों (Short Term Investor) के लिए होता है यह मुख्य रूप से नकदी या नकदी परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं इस फंड में उच्च तरलता तथा न्यूनतम जोखिम होता है।
- इंडेक्स फंड (Index Fund):-
- यह फंड एक विशेष सूचकांक जैसे Nifty 50 या Sensex की प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किए गए हैं इस फंड में जोखिम का स्तर उस इंडेक्स के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
- व्यवस्थित निवेश योजना (Systematic Investment Plan):-
- SIP भी म्यूचुअल फंड में निवेश का एक साधन है, जिसमें निवेशक नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश करते हैं। यह निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से भी बचाता है और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न की संभावना प्रदान करता है।
SIP (Systematic Investment Plan)
SIP म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने का एक लोकप्रिय तरीका है जिसमें निवेशक एक अंतराल पर निश्चित राशि का निवेश करते हैं SIP के द्वारा निवेशक शेयर बाजार (Share Market) के उतार-चराव से खुद को बचा सकता है यह लागत औसत की सुविधा प्रदान करता है निवेशक SIP के जरिए नियमित रूप से छोटे-छोटे निवेश कर सकते हैं जिसमें समय के साथ बड़ी पूंजी का निर्माण होता है।
SIP मुख्यतः उन निवेशकों के लिए है जो लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं उनके पास एक साथ बड़ी राशि निवेश करने में अशमर्थ होते है वह निवेशक अपने छोटे-छोटे निवेश को SIP के जरिए बड़े निवेश में तब्दील कर सकते हैं।
लाभांश (Dividend)
लाभांश (Dividend) किसी कंपनी में भागीदारों का अंश होता है जब कोई कंपनी लाभ करती है तो अपने भागीदारों या शेयर होल्डरों के साथ लाभ का कुछ प्रतिशत हिस्सा शेयर करती है यही Dividend यानी लाभांश होता है किसी कंपनी में Dividend शेयर की कीमत पर आधारित होती है।
ROE (Return on Equity)
किसी कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन (Finance Performence) की गणना करने के लिए ROE का इस्तेमाल किया जाता है ROE किसी निगम की लाभप्रदता को मापता है और यह बताता है कि कंपनी कितनी कुशलता से लाभ कमाती है। आम तौर पर, किसी कंपनी के लिए 15% से 20% का ROE अच्छा माना जाता है, जबकि कुछ उद्योगों में 25% से अधिक का ROE अच्छा माना जाता है।
बाज़ार पूंजीकरण (Market Cap)
किसी कंपनी का मार्केट कैप (Market Cap) उन निवेशकों के लिए एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है जो स्टॉक पर नजर रखते हैं किसी कंपनी के Market Cap की गणना करने की फार्मूला कंपनी के प्रत्येक शेयरो की वर्तमान कीमत को कुल शेयरो की संख्या से गुणा करने के बराबर होता है बाज़ार पूंजीकरण (Market Capitalization) सरल शब्दों में यह दर्शाता है कि वर्तमान समय में कंपनी की कीमत क्या है।
बुक वैल्यू (Book Value)
बुक वैल्यू एक वित्तीय मीटर है जो किसी कंपनी के कूल संपत्ति (Networth) या किसी व्यवसाय के मूल्य को अंकित करता है जैसा कि उसके वित्तीय में दिखाया गया है। किसी भी कंपनी की कुल सारणी को उसकी कुल कक्षाओं से प्रकाशित किया जाता है, और आम तौर पर इसे तिमाही या वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है।
अंकित मूल्य (Face Value)
शेयर बाजार (Share Market) में आपने IPO (Initial Public Offering) का नाम तो सुना ही होगा जब कोई कंपनी IPO के जरिए निवेशकों तक बाजार में अपने शेयर जारी करता है तो शेयर की एक वैल्यू निर्धारित की जाती हैं इसे ही अंकित मूल्य (Face Value) कहते हैं।
P/E Ratio & TTM
P/E Ratio = Price to Earning Ratio
TTM = Trailing Twelve Months
एक वित्तीय अनुपात है जिसके माध्यम से किसी कंपनी के स्टॉक की कीमत को उसके प्रत्येक Stock के आय के साथ तुलना करता है जिसकी मदद से एक निवेशक (Investor) यह पता कर सकता है कि कौन सा स्टॉक सस्ता है एवं कौन सा स्टॉक महंगा है इसकी गणना करने के लिए किसी कंपनी के स्टॉक की वर्तमान कीमत को उसके पिछले एक साल यानी 12 महीना के मुनाफे से विभाजित किया जाता है उदाहरणस्वरूप किसी Stock की वर्तमान कीमत ₹100 है एवं प्रति स्टॉक आय EPS ₹10 है तो P/E Ratio 10 होगा।
प्रवर्तकों की हिस्सेदारी (Promoters Holding)
प्रवर्तकों की हिस्सेदारी (Promoters Holding) किसी कंपनी के शेयरों का अंश या प्रतिशत है तथा प्रमोटर (Promoters) आप उन व्यक्ति या संस्थाओं को मानकर चल सकते हैं जो अपनी कंपनी के संचालन एवं प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
प्रमोटर्स होल्डिंग्स को कंपनी का एक महत्वपूर्ण सूचक माना जाता है क्योंकि यह कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी को दर्शाता है तथा किसी कंपनी की प्रमोटर्स होल्डिंग्स अधिक है तो उसे सकारात्मक सूचक माना जाता है एवं अगर प्रमोटर्स होल्डिंग्स काम है तो नकारात्मक सूचक माना जाता है।
विदेशी निवेशक (Foreign Investor)
कई निवेशक या कंपनियां अपने देश के बाहर दूसरे देश में निवेश करते हैं जो किसी देश की कंपनियां या परियोजनाओं में निवेश करके वहां से मुनाफा कमाते हैं इन्हे ही विदेशी निवेशक (Foreign Investor) कहा जाता है विदेशी निवेशक किसी देश के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि आर्थिक विकास, तकनीकी ज्ञान, रोजगार के साथ-साथ विदेशी निवेशक की वजह से देश को विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) भी प्राप्त होती है।
विक्रेता (Retailer)
विक्रेता शेयर बाजार (Share Market) में व्यक्तिगत निवेशक के नाम से मशहूर रिटेलर निवेशक गैर-पेशेवर निवेशक होते है जो प्रतिभूतियों या फण्ड की खरीद-बिक्री करते हैं जिनमें म्युचुअल फंड एवं एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Exchange Trading Fund) जैसे प्रतिभूतिओ का पोर्टफोलियो होता है Retailer का मन शेयर बाजार (Stock Market) के ऊपर निर्भर करता है अगर बाजार में मंडी आती है तोह उनका मन उदास होता है तथा बाजार मैं चढ़ाव आता है तो उनका मन अच्छा होता है।
Conclusion
अर्थात शेयर बाजार (Share Market) निवेशको के लिए एक ऐसा जरिया है जहां से निवेशकों को कंपनी के वित्तीय वृद्धि में भागीदार बनने का माध्यम प्रदान करता है यह निवेशको के लिए कमाई का ज़रिया के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के विकाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का भी अवसर प्रदान करता है साथ में बताते चले की शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करना जोखिम भरा होता है अतः निवेशकों को उचित शोध, सही ज्ञान, और शेयर बाजार (Share Market) की गहन समझ के साथ निवेश करना चाहिए।
FAQ SECTION
Q. NSE Full Form क्या होता हैं?
Ans:- National Stock Exchange
Q. BSE Full From क्या होता हैं?
Ans:- Bombay Stock Exchange
Q. P/E Ratio Full From क्या होता हैं?
Ans:- Price to Earning Ratio
Q. TTM Full From क्या होता हैं?
Ans:- Trailing Twelve Months
Q. ROE Full From क्या होता हैं?
Ans:- Return on Equity
Q. SIP Full From क्या होता हैं?
Ans:- Systematic Investment Plan
Q. BSE की स्थापना कब और कहां हुई थी?
Ans:- भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) जिसकी स्थापना साल 1875 ईस्वी में हुई थी इसका मुख्यालय मुंबई में अवस्थित है।