साल 2009 यह वो वर्ष था जिस वर्ष से धीरे-धीरे लोगों ने अपना मैसेजिंग करने का अंदाज बदल दिया क्योंकि साल 2009 में मैसेज की दुनिया में क्रांति लाने के लिए बाजार में WhatsApp के नाम से एक ऐप आ चुकी थी जो कि आगे चलकर दुनिया की सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप बनी लेकिन दुनिया का सबसे लोकप्रिय ऐप बनने तक का सफर इतना आसान नहीं था फिर भी व्हाट्सएप (WhatsApp) के संस्थापकों ने इसे आसान करके दिखाया ऐसे ही व्हाट्सएप (WhatsApp) से जुड़ी जानकारियों के बारे में नजर डालेंगे।
व्हाट्सएप के संस्थापकों को क्यो व्हाट्सएप (WhatsApp) छोड़कर जाना पड़ा, कैसे यह फेसबुक का हिस्सा बनी तथा कैसे यह पैसा कमाती है विभिन्न तथ्यों पर नजर डालेंगे विस्तार पूर्वक से।
WhatsApp की शुरुआत?
साल 2009 में याहू (Yahoo!) के दो पूर्व कर्मचारी ब्रायन एक्शन (Brian Acton) और जैन कॉम (Jan Koum) ने साथ मिलकर व्हाट्सएप को लांच किया हालांकि याहू कंपनी के बाद इन्होंने फेसबुक (Facebook) में नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन इन्हें फेसबुक (Facebook) में नौकरी नहीं मिली बाद में उन्होंने ट्विटर (Twitter) एवं गूगल (Google) जैसी कंपनियों में भी नौकरी के लिए आवेदन किया वहां भी निराशा ही हाथ लगी।
WhatsApp का नाम कहां से आया?
वैसे तो व्हाट्सएप का नाम अंग्रेजी के शब्द What’s Up से आया है जिसका हिंदी में मतलब होता है आप क्या कर रहे हैं या कैसे हैं।
व्हाट्सएप को सबसे पहले आपके स्टेटस की जानकारी शेयर करने के लिए बनाया गया था। अगर आप व्यस्त हैं तो आपके व्हाट्सएप में मौजूद स्टेटस के जरिए आपके दोस्त या आपको कॉल करने वाले जान सकते हैं कि आप किस स्थिति में हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर आप स्विमिंग कर रहे हैं तो आप अपने व्हाट्सएप स्टेटस में लिखकर पोस्ट कर सकते हैं कि मैं स्विमिंग कर रहा हूं तो आपके दोस्तों को पता चल जाएगा कि आप स्विमिंग कर रहे हैं तो वो आपको कॉल नहीं करेंगे क्योंकि आपके स्टेटस से उन्हें पता चल जाएगा।
लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए लोगों की चाहत बढ़ती गई वैसे-वैसे लोग इस स्टेटस को मैसेजिंग एप के तौर पर इस्तेमाल करने लगे जैसे अगर कोई व्यक्ति इस व्हाट्सएप पर स्टेटस डालता था तो बदले में अगला व्यक्ति भी स्टेटस डालकर उसे अपने हालचाल की जानकारी देता है बदले में अगला व्यक्ति भी वही काम करता है इसीलिए व्हाट्सएप के संस्थापकों ने इसे व्हाट्सएप मैसेंजर का रूप देने की तैयारी की और इसे व्हाट्सएप मैसेंजर के तौर पर तैयार किया।
कैसे एक स्टेटस ऐप दुनिया का नंबर वन मैसेजिंग ऐप बन गया?
धीरे-धीरे WhatsApp की लोकप्रियता बढ़ती गई और इसी तरह इसके इस्तेमाल में भी बदलाव देखने को मिले, लोग इस ऐप को मैसेजिंग ऐप के तौर पर इस्तेमाल करने लगे जैसे लोग हमेशा अपने स्टेटस को बदलकर अपने दोस्तों या प्रियजनों को अपने मौजूदा हालात के बारे में बताते थे।
फिर इसके संस्थापकों ने WhatsApp को मैसेजिंग ऐप बनाने का सोचा, उनका यह आइडिया सफल रहा क्योंकि उस समय सिर्फ एक फ्री मैसेजिंग ऐप BBM (ब्लैकबेरी मैसेंजर) था लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ ब्लैकबेरी यूजर ही कर सकते थे लेकिन WhatsApp का इस्तेमाल स्मार्ट फोन या आईफोन पर भी किया जा सकता था।
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व्हाट्सएप की लोकप्रियता || Popularity of WhatsApp
व्हाट्सएप को मैसेजिंग एप के रूप में लाने वाली सोच काम कर गई कुछ ही सालों में व्हाट्सएप के लगभग दो से तीन लाख उपभोक्ता बन गए बिना किसी प्रचार अथवा मार्केटिंग के व्हाट्सएप ऐप की लोकप्रियता आसमान छूने लगी एवं निवेशक इसमें अपना निवेश करने लगे व्हाट्सएप में सबसे आकर्षित करने वाली बात यह थी कि इसमें कोई प्रचार (Ads) नहीं थी।
फेसबुक ने व्हाट्सएप को क्यों एवं कैसे खरीदा?
साल 2012 वह समय था जिस वक्त फेसबुक मैसेंजर (Facebook Messenger) का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी व्हाट्सएप (WhatsApp) को माना जा रहा था इसलिए फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने सोचा कि अगर व्हाट्सएप को खरीद लिया जाए तो मैसेंजर का कोई प्रतिद्वंदी नहीं रहेगा हालांकि उस समय बाजार में अन्य और कई मैसेजिंग एप्स (Massaging Apps) थे।
लेकिन व्हाट्सएप की तरह लोकप्रिय नहीं थे तथा व्हाट्सएप के पास दुनिया का सबसे ज्यादा उपयोगकर्ता था जिनका इस्तेमाल करके फेसबुक और भी पैसे कमाने के लिए सोच रहे थे परिणाम स्वरूप साल 2014 में कुछ शर्तों के साथ 19 बिलियन डॉलर में व्हाट्सएप को फेसबुक ने खरीद लिया।
व्हाट्सएप को फेसबुक में ही क्यों बेचा गया?
फेसबुक से पहले व्हाट्सएप के संस्थापकों ने विभिन्न कंपनियों के साथ बैठकें की थीं लेकिन उनमें से कोई भी सफल नहीं हुई, उनमें से एक Google के सीईओ सुंदर पिचाई थे, लेकिन फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने व्हाट्सएप के संस्थापकों से कहा कि भविष्य में व्हाट्सएप के नियमों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी और व्हाट्सएप के सभी कर्मचारियों को भी रखा जाएगा, इन बातों के आधार पर, व्हाट्सएप के संस्थापकों ने व्हाट्सएप को फेसबुक को बेच दिया और व्हाट्सएप के संस्थापक रातोंरात अमीर हो गए।
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WhatsApp पैसे कैसे कमाती हैं?
WhatsApp पहला ऐसा ऐप था जो न तो अपना ऐड या मार्केटिंग करता था और न ही किसी दूसरी कंपनी का ऐड WhatsApp पर चलाता था, फिर इस ऐप को चलाने या कंट्रोल करने के लिए उनके पास पैसे कहां से आते थे? WhatsApp के सबसे बड़े खर्च की बात करें तो उनके द्वारा भेजा गया वेरिफिकेशन मैसेज तब भेजा जाता था जब कोई नया यूजर WhatsApp से जुड़ता था।
हालांकि निवेशकों से उन्हें कुछ पैसे मिल जाते थे लेकिन वह भी पर्याप्त मात्रा में नहीं होते थे। नतीजतन WhatsApp ने अपने यूजर्स से 0.99 डॉलर यानी 1 डॉलर प्रति साल चार्ज करना शुरू कर दिया और उनका यह आइडिया सफल रहा।
WhatsApp के फीचर्स को देखते हुए इसके यूजर्स और भी ज्यादा बढ़ने लगे और 3 साल के अंदर WhatsApp एक प्रॉफिटेबल ऐप बन गया।
लेकिन WhatsApp के फाउंडर इससे कमाए गए पैसों को अपनी टीम पर खर्च करते थे ताकि इस ऐप को और भी बेहतर बनाया जा सके। साल 2018 में मार्क जुकरबर्ग ने WhatsApp बिजनेस (WhatsApp Business) लॉन्च किया जिसमें बिजनेस प्रोफाइल बनाई जा सकती थी इसके बाद WhatsApp से ज़्यादा पैसे कमाने के लिए उन्होंने भारतीय यूज़र्स के लिए WhatsApp Pay लॉन्च किया।
इसमें छोटे ट्रांजेक्शन तो मुफ़्त थे, लेकिन बड़े ट्रांजेक्शन के लिए 3 से 4% की फीस देनी पड़ती थी. इसे भारत में नवंबर 2020 में लॉन्च किया गया था, लेकिन भारत में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस) की लोकप्रियता बहुत ज़्यादा थी और फीस कम थी. इस वजह से WhatsApp Pay को उतनी सफलता नहीं मिली।
अब तक WhatsApp पर कुल 104 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है, जो UPI ट्रांजेक्शन के मुक़ाबले सिर्फ़ 0.02% है. मार्क ज़करबर्ग WhatsApp पर विज्ञापन लाना चाहते हैं. ख़बरों के मुताबिक WhatsApp स्टेटस की जगह विज्ञापन लाए जा सकते हैं।
WhatsApp के संस्थापकों ने क्यों व्हाट्सएप को छोड़ दिया?
जनवरी 2016 में व्हाट्सएप के संस्थापक ने यूजर्स से व्हाट्सएप का $1 चार्ज हटा दिया था। इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं, जिनमें सबसे अहम यह है कि कुछ देशों में यूजर $1 शुल्क इसलिए नहीं दे पा रहे थे, क्योंकि उनके पास क्रेडिट कार्ड नहीं था।
दूसरी तरफ मार्क जुकरबर्ग भी इस बात के दबाव में थे कि निवेशकों द्वारा व्हाट्सएप पर खर्च किए गए 19 बिलियन डॉलर किसी तरह व्हाट्सएप से वसूल किए जाएं।
नतीजतन मार्क जुकरबर्ग ने व्हाट्सएप के संस्थापक पर दबाव बनाना शुरू कर दिया और इससे तंग आकर ब्रायन एक्टन ने सितंबर 2017 में व्हाट्सएप से इस्तीफा दे दिया और कुछ महीनों बाद जैन कौम ने भी व्हाट्सएप से इस्तीफा दे दिया।
FAQ SECTION
Q. व्हाट्सएप को हिंदी में क्या कहा जाता है?
Ans:- व्हाट्सएप का नाम अंग्रेजी के शब्द What’s Up से आया है जिसका हिंदी में मतलब होता है आप क्या कर रहे हैं या कैसे हैं।
Q. व्हाट्सएप को क्या कहा जाता है?
Ans:- अंग्रेजी के शब्द “What’s Up” जिसका हिंदी में मतलब होता है आप क्या कर रहे हैं या कैसे हैं।
Q. व्हाट्सएप का मालिक कौन है?
Ans:- साल 2009 में याहू (Yahoo!) के दो पूर्व कर्मचारी ब्रायन एक्शन (Brian Acton) और जैन कॉम (Jan Koum) ने साथ मिलकर व्हाट्सएप को लांच किया।
Q. 2024 में अब व्हाट्सएप का मालिक कौन है?
Ans:- ब्रायन एक्शन (Brian Acton) और जैन कॉम (Jan Koum) ने साथ मिलकर व्हाट्सएप को लांच किया। साल 2014 में कुछ शर्तों के साथ 19 बिलियन डॉलर में व्हाट्सएप को फेसबुक के CEO Mark Zuckerberg ने खरीद लिया।